Wednesday, 12 September 2012

साली बनी घरवाली


दोस्तो, मेरा नाम राज है और में पंजाब से हूँ।

मैंने  बहुत कहानिया पढ़ी हैं, उनमें से कुछ सच्ची होती हैं और कुछ में मसाला भी डाला होता है। पढ़ते-पढ़ते मैंने भी सोचा कि मैं भी अपना एक मात्र किस्सा लिख दूं !

दरअसल बात उस समय की है जब मेरी उम्र सिर्फ बाईस वर्ष रही होगी, मेरी शादी हुई को अभी आठ महीने ही हुए थे कि ससुराल वालों ने मेरी साली की शादी तय कर दी। मैंने जिंदगी में पहली बार अपनी पत्नी से ही सेक्स किया था और कभी किसी दूसरी लड़की के साथ मेरे सम्बन्ध नहीं रहे थे, मैंने कभी कोशिश भी नहीं की थी।

मेरे ससुराल में मेरी एक सगी साली थी और तीन चाचा-ताया की लड़कियाँ थी। ताया की लड़की नाम रेनू और उम्र लगभग उन्नीस वर्ष, देखने में बहुत ही सेक्सी और प्यारी लगती है। वैसे देखने में तो मेरी बीवी भी कम नहीं पर बीवी और साली में फर्क यह है कि साली का वक्ष और कूल्हे कुछ ज्यादा ही सेक्सी हैं।

उस दिन हम शाम करीब तीन बजे ससुराल में पहुँचे। पहुँचते ही हमारा स्वागत मेरी सगी साली ने किया, वो दरवाजे पर ही मिल गई थी। उसके बाद हम घर के बाकी लोंगों से मिले और फिर सब धीरे धीरे अपने अपने काम में लग गए। ताया की लड़की रेनू पाँच बजे हमारे पास आई, आकर अपनी बहन को गले मिली, जबकि मुझे नमस्ते करके बैठ गई।

तो मैंने पूछा- क्या मुझे गले नहीं मिलोगी?

तो उसने मजाक में कहा,"आप से गले मिलने से कहीं आपको कर्रेंट न लग जाये !"

मैंने कहा,"कितनी वोल्ट है ?"

तो बोली,"यह तो मिलने से ही पता चलेगा !"

मैंने अपनी बीवी की तरफ देखा और उसे कहा,"तुम बताओ कि कहाँ मिलना है?"

मेरी बीवी ने और मैंने इसे मजाक ही समझा था लेकिन रेनू दे अन्दर कुछ और चल रहा था। उस वक्त बात आई-गई हो गई। फिर वो भी अपने अपने काम में लग गई। मैं अपने साले के साथ बाज़ार में चला गया और हम रात आठ बजे के करीब आये। विवाह के कारण किसी साली से जयादा बात नहीं हो पाई और ऐसे ही रात के दस बज गए।

रात दस बजे तक रेनू घर में रही और ऐसे ही घर में काम करती रही। मुझे अपने घर में जल्दी सोने की आदत है सो मैं दस बजे सो गया। हमारा बिस्तर अलग लगाया गया था, तो मैं अकेले ही सोने चला गया, मैंने सोचा मेरी बीवी बाद में आ जाएगी।

जब मेरी बीवी आई तो मैंने समय देखा, रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे, मेरी बीवी ने दरवाजा लगा दिया, चिटकनी नहीं लगाई थी। हम बेड पर सोने चले गए। दोनों ने प्यारर से एक दूसरे को चूमा और थकावट होने के कारण बातें करते करते हमें पता ही नहीं चला कब नींद आ गई।

सोते सोते मुझे अचानक दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मैंने देखा मेरी बीवी बेड पर नहीं थी और रेनू मेरे कमरे में आ रही थी। मैंने समय देखा तो रात का डेढ़ बज रहा था।

मैंने रेनू से पूछा,"किरण (मेरी बीवी) कहाँ है?"

तो उसने बताया,"वो तो बारह बजे ही लड़कियों के साथ मेहँदी लगाने चली गई थी, मैं भी वहाँ थी, सब लड़कियाँ वहाँ ही सो जाएँगी।"

तो मैंने पूछा,"रेनू, तुम यहाँ क्यों आ गई?"

तो बोली,"मुझे नींद नहीं आ रही थी तो सोचा जीजाजी के पास चलते हैं !"

सच मानो उसे देख कर मेरा भी मन मचलने लगा था और मेरी सारी नींद उड़ चुकी थी। मैंने रेनू से पूछा,"बाहर कौन-कौन जग रहा है?"

तो उसने कहा,"मैं सब देख कर आई हूँ, बाहर इस घर में कोई भी जाग नहीं रहा है।"

बात करते करते ही उसने धीरे से दरवाजे की कुण्डी लगा दी।

मैंने कहा,"अगर तुम्हरी बहन आ गई और उसने ऐसे देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी।"

रेनू पहले से ही गर्म थी, पता नहीं कब से मन में यही सोच रही होगी। रेनू की आँखों में देखने से पता चल रहा था कि वो बहुत गर्म है और चुदाई के पागल हो रही है।

मैंने उसको पकड़ा और बाँहों में लेकर चूमा वो तो मुझ से चिपक ही गई थी।

मैंने उसे मजाक में पूछा,"रेनू, तुझ में तो बहुत करंट है?"

रेनू तो जैसे समय देखकर आई थी और चुदाई के लिए पागल हो रही थी, बोली,"राज मैं तुम से बहुत देर से इस प्यास को मिटाने के लिए तरस रही थी, आज मौका मिला है, मैं इसे खोना नहीं चाहती !"

और मुझसे और जोर से लिपट गई।

मैंने मौके का फायदा उठाना शुरू किया, उसे जोर से जफ्फी में लिया। पाँच-छः मिनट ऐसे ही रहने के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके स्तनों को सहलाना शुरू किया। उसे भी मज़ा आ रहा था, उसने भी सहलाना शुरू किया और धीरे धीरे उसका हाथ मेरे पजामे की तरफ चला गया।

मेरा लंड भी अपने पूरे जोश में था, मैंने उसका कुरता ऊपर उठाया और उसने भी कुरता निकालने में देर नहीं लगाई, मैंने साथ ही उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी, उसके गोरे मम्मे बड़े रसीले थे, मैंने धीरे-धीरे उसको चाटना शुरू किया, उसके चुचूक को दबाया, उसके मुँह से धीरे-धीरे आवाजें आनी शुरू हो गई थी।

इसी बीच उसने मेरे पजामे में हाथ डाल दिया और मेरा पजामा नीचे कर दिया। पांच मिनट चूसने के बाद मैंने उसकी चूत को ऊपर से ही सहलाना शुरू किया, उसकी चूत तो पहले ही काफी गीली हो रही थी, मैंने उसका नाड़ा खोल दिया, उसकी सलवार को नीचे सरका दिया।

रेनू बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी, नड़ा खुलते ही बोली,"राज अब देर मत करो ! मुझे और मत तरसाओ।"

मैंने उसकी गोरी टांगों को चूमना शुरू किया। फिर मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाया और उसकी टाँगों के बीच में अपने घुटनों के बल बैठ गया। इससे मेरा लंड उसकी चूत के बिल्कुल नज़दीक आ गया था। मैंने लंड का टोपा उसकी चूत के ऊपर लगाया और हल्का सा धक्का लगाया। चूत पूरी गीली थी और आधा लंड अंदर चला गया।

इस तरह मैंने पहले कभी अपनी बीवी से सेक्स नहीं किया था, मुझे इसमें दिक्कत आने लगी। मैंने उसकी एक टांग नीचे करके एक टांग अपने कंधे पर रख ली। इस तरह लंड अच्छी तरह अंदर चला जाता है, मैंने फिर उसकी चूत में लंड डालने की क्रिया शुरू की। पूरा लंड अंदर जाते ही उसने मुझे जोर से भींच दिया। मुझे पता चल गया कि रेनू ज्यादा देर तक रह नहीं पायेगी, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसका पूरा मुँह बंद कर दिया और जोर से धक्का लगाया। जोर से धक्का लगाने से मुझे महसूस हुआ कि रेनू को कुछ दर्द हुआ है सो मैंने अपना लंड दबा कर रख कर कुछ देर तक उसको सहलाने की क्रिया शुरू की।

रेनू ने कहा,"राज, मेरी प्यास बुझा दो !"

मैंने काम शुरू कर दिया और जोर से धक्का लगाना शरू कर दिया, रेनू ने भी नीचे से अपने कूल्हे हिला-हिला कर साथ देना शुरू कर दिया था।

रेनू दो मिनट में ही चरम पर पहुँच गई और ठंडी पड़ गई। मैंने कुछ देर रुकने के बाद उसको घोड़ी की अवस्था में किया और पीछे से उसकी चूत को चोदना शुरू किया। दो मिनट में मेरा भी पानी निकल गया।

मैंने उसको लिटा दिया।

हम दोनों कुछ देर इसी दशा में रहे, फिर मैंने पूछा- रेनू कैसा लगा जीजा का करंट?

उसने मुस्कुरा कर मुझे चूम लिया और कहा- जीजाजी, आप बहुत शरारती हो ! अब मैं आपकी साली नहीं रही !

मैंने कहा- रेनू, मैंने कभी तुम्हारे बारे में ऐसे नहीं सोचा था। लेकिन साली का ख्याल रखना भी तो जीजा का फ़र्ज़ होता है, अब जब तक तुम्हारी शादी नहीं होती, तुम जब चाहो अपनी प्यास मिटा लेना, लेकिन अपनी दीदी का ख्याल रखना !

जीजा-साली का यह सिलसिला डेढ़ साल तक चला, हम कई बार मिले और मैंने साली को पूरी घरवाली बना डाला। अब वो भी अपनी शादी के बाद अपने घर में खुश है और मैं भी खुश हूँ। रेनू की शादी के बाद हम दोनों ने कभी वैसा नहीं किया, अब हम दोनों जीजा-साली की तरह ही मिलते हैं और सब ठीक-ठाक है।

दोस्तों यह असली कहानी कैसे लगी?

अपनी राय मुझे pingmeforu@gmail.com पर भेजें !

No comments:

Post a Comment