Tuesday, 30 October 2012

अवनी मौसी-2 - Avani Mausi 2


अवनी मौसी-2
प्रेषिका : निशा भागवत

कुछ देर तो वो दोनों बतियाते रहे, फिर बस एक जगह रुक गई। समय देखा तो रात के ठीक बारह बज रहे थे।

'बस यहां आधे घण्टे रुकेगी, चाय, पानी पेशाब नाश्ता खाना ... के लिये आ जाओ।'

बाहर होटल वाला अपनी बुलंद आवाज में पुकार रहा था।

'चलो, क्या पियोगे ठण्डा, चाय ... दूध कुछ?'

'हां मौसी, चलो। पहले चाय पियेंगे ... फिर दूध भी ... आप पिलायेंगी?'

'चाय होटल में और दूध बस में ...! चलें?' अवनी ने अक्षय को तिरछी नजर से देखते हुये कहा।

अक्षय कुछ समझा, कुछ नहीं समझा ... दोनों केबिन से उतर पड़े।

दोनों ने एक बार फिर पेशाब किया, फिर चाय और पकोड़े खाये।

बस की रवानगी का समय हो गया था। अक्षय बार अपने हाथ की अंगुली अवनी की गाण्ड में घुसा देता। अवनी बार बार उसकी अंगुली को हटा देती। उसके बार बार करने से वो बोल उठी- अरे भई, मत कर ना ... कोई देख लेगा !

'मजा आता है मौसी ... बड़ी नरम है ...'

'दुनिया को तमाशा दिखाओगे...? लोग मुझ पर हंसेंगे !'

अवनी ने अक्षय का हाथ थामा और दोनों ही समय से पूर्व ही बस के केबिन में घुस गये। अवनी ने बड़े ध्यान से केबिन के शीशे बन्द कर दिये थे। परदे भी ठीक से लगा दिये थे। फिर उसने अपना पायजामा उतार कर एक तरफ़ रख दिया। अक्षय ने भी उसके देखा देखी अपनी पैन्ट उतार कर अवनी के पायजामे के साथ ही रख दी। दोनों एक दूसरे को देख कर अपना मतलब पूरा करने के लिये मुस्करा रहे थे।

बस रवाना हो चुकी थी।

'मुन्ना दूध पियोगे...?'

'पिलाया ही नहीं, मैं तो बस सोचता ही रह गया...!'

अवनी ने अपना कुरता ऊपर करके पूरा उतार दिया।

'अरे मौसी, कोई आ गया तो...?'

'तो उसे भी दूध पिला दूँगी... ले आ जा... दूध पी ले... !' अवनी हंसते हुये बोली। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

'अरे मौसी ! आपने तो मुझे मार ही डाला ... ये वाला दूध पिलाओगी ... मेरी मौसी की जय हो...!'

अक्षय ने मौसी की चूचियों को हिलाया और उसके निप्पल को अपने मुख में ले लिया। अवनी ने उसे बड़े प्यार से अपनी बाहों में समेट लिया और प्यार से उसे अपने चूचकों को बारी बारी उसके मुख में डालती जा रही थी और उसके चूसने पर बार बार आहें भरती जा रही थी।

'मुन्ना, गाण्ड मलाई खायेगा?' अवनी ने अपनी गाण्ड मरवाने के लिये अक्षय से कहा।"गाण्ड मलाई? वो क्या होता है...?'

'उफ़्फ़, मुन्ना कितना भोला है रे तू ... लण्ड को गाण्ड में घुसेड़ कर फिर अपने लण्ड से मलाई निकालने को गाण्ड मलाई कहते हैं।' अवनी का दिल मचल रहा था कुछ कुछ करवाने को।

'मौसी, गाण्ड चुदाओगी ...?' अक्षय सब समझ गया था।

'धत्त, कैसे बोलता है रे ... वैसे इसमें मजा बहुत आता है ... चोदेगा मेरी गाण्ड?" अवनी खुश हो उठी।

"हाय मौसी, तुस्सी द ग्रेट... मजा आ जायेगा...!' अक्षय किलकारी मारता हुआ चहक उठा।

'तो फिर चिपक जा मेरी गाण्ड से... पहले की तरह ... देख सुपारा खोल कर छेद पर चिपकाना !' अवनी ने शरारत से वासना भरी आवाज में कहा।

अवनी ने एक करवट ली और अपनी गाण्ड उभार कर लेट गई। अक्षय ने अपना लण्ड हाथ में लिया और उसका सुपारा खोल दिया। फिर आराम से उसकी गाण्ड से चिपक गया। अवनी ने अपनी गाण्ड खोल दी और अपनी गाण्ड को ढीली कर दी- मुन्ना, थूक लगा कर चोदना...

अक्षय ने थूक लगा कर उसके छेद में लगा दिया और अपना सुपाड़ा उसकी गाण्ड पर चिपका दिया और कस कर अवनी की पीठ से चिपक गया।

'यह बात हुई ना, बिल्कुल ठीक से फ़िट हुआ है ... अब लगा जोर !'

अक्षय के जवान लण्ड ने थोड़ा सा ही जोर लगा कर छेद में प्रवेश कर लिया। अक्षय को एक तेज मीठी सी गुदगुदी हुई। अवनी का चंचल मन भी शान्त होता जा रहा था। अब लौड़ा उसकी गाण्ड में था, संतुष्टि भरी आवाज में बोली- चल मुन्ना ... अब चोद दे ... चला अपनी गाड़ी... उईईई ... क्या मस्त सरका है भीतर !'

अक्षय का लण्ड उसके भीतरी गुहा को सहलाता हुआ, गुदगुदी मचाता हुआ चीरता हुआ अन्दर बैठता चला गया। अक्षय धीरे धीरे अन्दर बाहर करता हुआ लण्ड को पूरा घुसाने की जुगत में लग गया। अवनी की गाण्ड मीठी मीठी गुदगुदी से कसक उठी। अक्षय अवनी की गाण्ड चोदने लगा था। अब उसकी रफ़्तार बढ़ रही थी। अवनी की चूत में भी खुजली असहनीय तेज होने लगी थी। वो तो बस अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुदवाने में लगी थी। उसे बहुत मजा आ रहा था। पर चूत तो मारे खुजली के पिघली जा रही थी।

कुछ देर गाण्ड चुदाई के बाद अवनी ने अपना पोज बदला और सीधी हो गई। 'मुन्ना, मेरे ऊपर चढ़ जा रे ... अब चूत ... आह्ह ... पेल दे रे !'

अक्षय धीरे से अवनी पर सवार हो गया। पर बस में ऊपर जगह कम ही थी, फिर भी धक्के मारने की जगह तो काफ़ी ही थी।

"मौसी, टांगें और खोलो ... मुझे सेट होने दो !'

'उफ़्फ़, मुन्ना ... लण्ड तो घुसा दे रे ... मेरी तो उह्ह्... आग लगी हुई है !'

अवनी की टांगे चौड़ाते ही अक्षय ने अपना लण्ड उसकी चूत में अड़ा दिया।

'उस्स्स ... ये बात हुई ना ... आह्ह्ह मर गई राम जी ... और अन्दर घुसेड़ जानू ... चोद दे मरी चूत को !'

दोनों जैसे आग की लपटों से घिरे हुए थे, जिस्म झुलस रहा था। लण्ड के चूत में घुसते ही अवनी तो निहाल हो उठी। लण्ड पाकर अवनी की चूत धन्य हो उठी थी।

अक्षय वासना की आग में तड़प रहा था- मौसी... साली... की मां चोद कर रख दूँ ... तेरी तो ... भेन की फ़ुद्दी ... साली हरामजादी ...

'मुन्ना ... छोड़ना नहीं ... चूत का भोसड़ा बना दे यार ... जोर से चोद साले हरामी...'

अक्षय उसकी चूचियों को घुमा घुमा कर जैसे निचोड़ रहा था। मुख से मुख भिड़ा कर थूक से उसका सारा चेहरा गीला कर दिया था। अवनी की चूत पिटी जा रही थी। अवनी के मन की सारी गाण्ठें ढीली होती जा रही थी। वो मस्ती से स्वर्ग में विचर रही थी।

तभी अवनी का शरीर कसने लगा ... उसकी नसें जैसे तन सी गई ... आँखें बन्द होने लगी ... होंठ थरथरा उठे ... उसकी मांसपेशियाँ में तनाव सा आया और वो एक हल्की चीख के साथ झड़ने लगी। उसने अक्षय को जोर से भींच लिया।

तभी अक्षय ने भी जोर लगाया और अपना वीर्य अवनी की चूत में उगलने लगा। अक्षय बार बार चूत पर जोर लगा कर वीर्य निकाल कर अवनी की चूत में भरता रहा। अवनी मदहोश सी गहरी सांसें लेती हुई सभी कुछ आत्मसात करती रही।

कुछ ही देर में वे दोनों निढाल हो कर दूसरी तरफ़ लुढ़क गये। अवनी चूंकि अनुभव वाली युवती थी, उसने तुरन्त अक्षय को पैन्ट पहनाई, कपड़े ठीक किये, फिर उसे नींद के आगोश में जाने दिया।

फिर उसने स्वयं भी अपने कपड़े ठीक किये और एक करवट लेकर सो गई।

जब सवेरे नींद खुली तो अक्षय उसके बदन को सहला रहा था।

''मुन्ना, बस अब नहीं... घर आने वाला है ... मौके मिलेंगे तो खूब मस्ती करेंगे।'

सात बजे बस पहुँच गई थी। उन्होंने टू सीटर किया और घर पहुँच गये।

अक्षय के नाना जी के पाँव का फ़्रेक्चर मामूली ही था पर उन्हें उठने की सख्त मनाही थी। बस इसी बात का फ़ायदा दोनों ने खूब उठाया। अक्षय मौसी को कभी तो रसोई में ही चोद देता या कभी नाना जी पास के कमरे में ही खड़ी खड़ी ही चोद देता था।

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