Wednesday, 31 October 2012

मेरा प्यारा देवर-3 - Mera Pyara Devar 3

मेरा प्यारा देवर-3
लेखिका : कोमलप्रीत कौर

वो अपनी टी-शर्ट उतारने को नहीं मान रहा था, तो मैंने उसकी टी-शर्ट अपने दोनों हाथों से ऊपर उठा दी।

वो टी-शर्ट को नीचे खींच रहा था और मैं ऊपर.. इसी बीच मैं अपने मम्मे कभी उसकी बाजू पर लगाती और कभी उसकी पीठ पर... और कभी उसके सर से लगाती...

जब वो नहीं माना तो मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और...

खुद उसके ऊपर लेट गई जिससे अब मेरे मम्मे उसकी छाती पर टकरा रहे थे और मैं लगातार उसकी टी-शर्ट ऊपर खींच रही थी। उसके गिरने के कारण उसका लौड़ा भी पैंट में उछल रहा था, जो मेरे पेट से कभी कभी रगड़ जाता, मगर विकास अपनी कमर को दूसरी ओर घुमा रहा था ताकि उसका लौड़ा मेरे बदन के साथ न लग सके...

आखिर में उसने हर मान ली और मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी।

अब उसकी छाती जिस पर छोटे छोटे बाल थे मेरे मम्मों के नीचे थी.. मगर मैंने अभी उसको और गर्म करना चाहा ताकि मुझे उसका बलात्कार ना करना पड़े और वो खुद मुझे चोदने के लिए मान जाये।

मैं उसके ऊपर से उठी और रसोई में से आईसक्रीम एक ही कप में ले आई, मेरे आने तक वह बैठ चुका था.. मैं फिर से उसके साथ बैठ गई और खुद एक चम्मच खाकर कप उसके आगे कर दिया। उसने चम्मच उठाया और आईसक्रीम खाने लगा तो मैंने उसको अपना कंधा मारा जिससे उसकी आईस क्रीम उसके पेट पर गिर गई। मैंने झट से उसके पेट से ऊँगली के साथ आईस क्रीम उठाई और उसी के मुँह की ओर कर दी। उसको समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ आज क्या हो रहा है।

फिर उसने मेरी ऊँगली अपने मुँह में ली और चाट ली मगर मैं अपनी ऊँगली उसके मुँह से नहीं निकाल रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेरी ऊँगली मुँह से बाहर निकाली।

अब मैंने जानबूझ कर एक बार आईसक्रीम अपनी छाती पर गिरा दी जो मेरे बड़े से गोल उभार पर टिक गई। मैंने एक हाथ में कप पकड़ा था और दूसरे में चम्मच।

मैंने विकास को कहा- विकास यह देखो, आईसक्रीम गिर गई इसे उठा कर मेरे मुँह में डाल दो।

यह देख कर तो विकास की हालत देखी नहीं जा रही थी, उसका लौड़ा अब उससे भी नहीं संभल रहा था...

उसने डरते हुए मेरे हाथ से चम्मच लेने की कोशिश की मगर मैंने कहा- ...अरे विकास, हाथ से डाल दो। चम्मच से तो खुद भी डाल सकती थी।

यह सुन कर तो वो और चौक गया..

फिर उसका कांपता हुआ हाथ मेरे मम्मे की तरफ बढ़ा और एक ऊँगली से उसने आईसक्रीम उठाई और फिर मेरे मुँह में डाल दी। मैंने उसकी ऊँगली अपने दांतों के नीचे दबा ली और अपनी जुबान से चाटने लगी।

उसने खींच कर अपनी ऊँगली बाहर निकल ली तो मैंने कहा- क्यों देवर जी दर्द तो नहीं हुआ..?

उसने कहा- नहीं भाभी....

मैंने कहा- फिर इतना डर क्यों रहे हो....

उसने कांपते हुए होंठों से कहा- नहीं भाभी, डर कैसा...?

मैंने कहा- मुझे तो ऐसा ही लग रहा है...

फिर मैंने चम्मच फेंक दी और अपनी ऊँगली से उसको आईसक्रीम चटाने लगी....

वो डर भी रहा और शरमा भी रहा था और चुपचाप मेरी ऊँगली चाट रहा था..

मैंने कहा- अब मुझे भी खिलाओ...

तो उसने भी ऊँगली से मुझे आईसक्रीम खिलानी शुरू कर दी...

मैं हर बार उससे कोई ना कोई शरारत कर रही थी और वो और घबरा रहा था..

आखिर आईसक्रीम ख़त्म हो गई और हम ठीक से बैठ गये।

मैंने उसको कहा- विकास, मैं तुम को कैसी लगती हूँ?

उसने कहा- बहुत अच्छी !

तो मैंने पूछा- कितनी अच्छी?

उसने फिर कहा- बहुत अच्छी ! भाभी....

फिर मैंने कहा- मेरी एक बात मानोगे..?

उसने कहा- हाँ बोलो भाभी...?

मैंने कहा- मेरी कमर में दर्द हो रहा है, तुम दबा दोगे...?

उसने कहा- ठीक है...

तो मैं उलटी होकर लेट गई... वो मेरी कमर दबाने लगा...

फिर मैंने कहा- वो क्रीम भी मेरी कमर पर लगा दो...

तो वो उठ कर क्रीम लेने गया तब मैंने अपनी कमीज़ उतार दी...

अब मेरे मम्मे ब्रा में से साफ दिख रहे थे।

यह देख कर विकास बुरी तरह से घबरा गया और बोला- भाभी, यह क्या कर रही हो?

मैंने कहा- तुम क्रीम लगाओगे तो कमीज उतारनी ही पड़ेगी... नहीं तो तुम क्रीम कैसे लगाओगे?

वो चुपचाप बैठ गया और मेरी कमर पर अपना हाथ चलाने लगा...

फिर मैं उसके सामने सीधी हो गई और कहा- विकास रहने दो, आओ मेरे साथ सो जाओ..

उसने कहा- नहीं भाभी ! मैं आपके साथ कैसे सो सकता हूँ...

मैंने कहा- क्यों नहीं सो सकते...?

तो वो बोला- भाभी आप औरत हो और मैं आपके साथ नहीं सो सकता...

मैंने उसकी बाजू पकड़ी और अपने ऊपर गिरा लिया... और कस कर पकड़ लिया...

मैंने कहा- विकास तुम्हारी कोई सहेली नहीं है क्या?

उसने कहा- नहीं भाभी....अब मुझे छोड़ो...

मैंने कहा- नहीं विकास, पहले मुझे अपनी पैंट में दिखाओ कि क्या है जो तो मुझ से छिपा रहे हो...?

वो बोला- नहीं भाभी, कुछ नहीं है...

मैंने कहा- नहीं मैं देख कर ही छोड़ूंगी.. मुझे दिखाओ क्या है इसमें...

वो बोला- भाभी, इससे पेशाब करते है... आपने भैया का देखा होगा...

मैंने फिर कहा- मुझे तुम्हारा भी देखना है...

और उसको अपने हाथ में पकड़ लिया... हाथ में लेते ही मुझे उसकी गर्मी का एहसास हो गया।

विकास अपना लौड़ा छुड़ाने की कोशिश करने लगा मगर मेरे आगे उसकी एक ना चली....फिर वो बोला- भाभी अगर किसी को पता चल गया कि मैंने आपको यह दिखाया है तो मुझे बहुत मार पड़ेगी।

मैंने कहा- ..विकास, अगर किसी को पता चलेगा तो मार पड़ेगी... मगर हम किसी को नहीं बताएँगे।

फिर मैंने उसकी पैंट की हुक खोली और पैंट नीचे सरका दी... उसका कच्छा भी नीचे सरका दिया.... और उसका बड़ा सा लौड़ा मेरे सामने था.... इतना बड़ा लौड़ा मैंने आज तक नहीं देखा था...

मैं बोली- विकास, तुम मुझसे इसे छिपाने की कोशिश कर रहे थे मगर यह तो अपने आप ही बाहर भाग रहा है....

विकास ने जल्दी से अपने हाथ से उसको छुपा लिया और पैंट पहनने लगा मगर मैंने खींच कर उसकी पैंट उतार दी और कच्छा भी उतार दिया...

अब मैंने यह मौका हाथ से नहीं जाने दिया और उसका लौड़ा झट से मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी..

पहले तो वो मेरे सर को पकड़ कर मुझे दूर करने लगा मगर थोड़ी देर में ही वो शान्त हो गया क्योंकि मेरी जुबान ने अपना जादू दिखा दिया था।

अब वो अपना लौड़ा चुसवाने का मजा ले रहा था, मैं उसके लौड़े को जोर जोर से चूस रही थी और विकास बिस्तर पर बेहाल हो रहा था... उसे भी अपने लौड़ा चुसवाने में मजा आ रहा था, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।

फिर उसके लौड़े ने अपना सारा माल मेरे मुँह में उगल दिया और मेरा मुँह उसके माल से भर गया। मैंने सारा माल पी लिया।

मैं अपने हाथों को चाटती हुई उठी और बोली- विकास अब तुमको कुछ देखना है तो बताओ? मैं दिखाती हूँ !

उसने मेरे मम्मों की ओर देखा और बोला- भाभी, आपके ये तो मैंने देख लिए...

मैंने कहा- कुछ और भी देखोगे...?

उसने कहा- क्या...

मैंने उसको कहा- मेरी कमर से ब्रा की हुक खोलो !

तो उसने पीछे आकर मेरी ब्रा खोल दी...

मेरे दोनों कबूतर आजाद हो गये, फिर मैं उसकी ओर घूमी और उसको कहा- अच्छी तरह से देखो हाथ में पकड़ कर...

उसने हाथ लगाया और फिर मुझसे बोला- भाभी, मुझे बहुत डर लग रहा है...

मैंने कहा- किसी से मत डरो ! किसी को पता नहीं चलेगा ! और जैसे मैं कहती हूँ तुम वैसे ही करो, देखना तुम को कितना मजा आता है...

फिर मैंने उसका सर अपनी छाती से दबा लिया और अपने मम्मे उसके मुँह पर रगड़ने लगी।

वो भी अब शर्म छोड़ कर मेरे मम्मों का मजा ले रहा था...

मैंने उसको कहा- मेरी सलवार उतार दो !

तो उसने मेरी सलवार उतार दी और मुझे नंगी कर दिया...

अब हम दोनों नंगे थे।

मैंने उसको अपनी बाहों में लिया और अपने साथ लेटा लिया। फिर मैंने उसके होंठ चूसे और फिर मेरी तरह वो भी मेरे होंठ चूसने लगा।

अब उसका डर कम हो चुका था और शर्म भी...

अब मैं उसके मुँह के ऊपर अपनी चूत रख कर बैठ गई और कहा- जैसे मैंने तुम्हारे लौड़े को चूसा है तुम भी मेरी चूत को चाटो और अपनी जुबान मेरी चूत के अन्दर घुसाओ।

वो मेरी चूत चाटने लगा, उसको अभी तक चूत चाटना नहीं आता था मगर फिर भी वो पूरा मजा दे रहा था..

मेरी चूत से पानी निकल रहा था जिसको वो चाटता जा रहा था और कभी कभी तो मेरी चूत के होंठो को अपने दांतों से काट भी देता था जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था...

उसका लौड़ा फिर से तन चुका था।

अब मैं उठी और अपनी चूत को उसके लौड़े के ऊपर सैट करके बैठ गई, मेरी गीली चूत में उसका लौड़ा आराम से घुस गया पर उसका लौड़ा बहुत बड़ा था, थोड़ा ही अन्दर जाने के बाद मुझे लगने लगा कि यह तो मेरी चूत को फाड़ डालेगा।

शायद उसको भी तकलीफ हो रही थी, वो बोला- भाभी, मेरा लौड़ा आपकी चूत से दब रहा है।

मैंने कहा- बस थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा... पहली बार में सबको तकलीफ होती है।

मैंने थोड़ी देर आराम से लौड़ा अन्दर-बाहर किया। फिर जब वो भी नीचे से अपने लौड़े को अन्दर धकेलने लगा तो मैं भी अपनी गाण्ड उठा उठा कर उसके लौड़े का मजा लेने लगी...

अब तक वो भी पूरा गर्म हो चुका था, उसने मुझे अपने नीचे आने के लिए कहा तो मैं वैसे ही लौड़े अन्दर लिए ही एक तरफ़ से होकर उसके नीचे आ गई और वो ऊपर आ गया।

वो मुझे जोर जोर से धक्के मारना चाहता था। मैंने अपनी टांगों को उसकी कमर में घुमा लिया ताकि उसका लौड़ा बाहर ना निकल सके।

फिर वो आगे-पीछे होकर धक्के मारने लगा...

मैं भी नीचे से उसका साथ दे रही थी, अपनी गाण्ड को हिला हिला कर...

काफी देर तक हमारी चुदाई चलती रही और फिर हम दोनों झड़ गये और वैसे ही लेट रहे...

मेरी इस एक चुदाई से अभी प्यास नहीं बुझी थी, इसलिए मैंने फिर से विकास के ऊपर जाकर उसका गर्म करना शुरू किया मगर वो तो पहले से ही तैयार था, अब उसने कोई शर्म नहीं दिखाई और मुझे घोड़ी बनने के लिए बोल दिया...

मैंने भी उसके सामने अपनी गाण्ड उठाई और सर को नीचे झुका दिया और फिर उसने अपना बड़ा सा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया... उसके पहले धक्के ने ही मेरी जान ले ली, उसका लौड़ा मेरी चूत फाड़ कर अन्दर घुस गया....

मगर मैं ऐसी ही चुदाई चाहती थी...

उस दिन विकास ने मुझे तीन बार चोदा वो चौथी बार मेरी गाण्ड चोदना चाहता था मगर तब तक मेरे सास-ससुर के आने का वक्त हो चुका था इसलिए मैंने उसको फिर किसी दिन के लिए कहा और वो भी मान गया...

दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी जरूर अच्छी लगी होगी....

मैं जल्द ही आपकी सेवा में फिर से हजिर हूंगी।

आपकी भाभी कोमल प्रीत

bhabi.komalpreet85@gmail.com



No comments:

Post a Comment